नईदिल्ली 27 अगस्त 2020। सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की ओर से विकसित संभावित कोविड-19 टीके का दूसरे चरण का ह्यूमन ट्रायल चल रहा है।क्लिनिकल ट्रायल के दूसरे चरण में पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा निर्मित कोविशिल्ड टीके का पहला ‘शॉट’ 32 वर्ष एवं 48 वर्ष के दो लोगों को बुधवार को लगाया गया था। एक अधिकारी ने बताया कि इसकी खुराक (डोज) एक महीने बाद दोहराई जाएगी।
मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के चिकित्सा उप निदेशक डॉ. जितेंद्र ओस्वाल ने कहा, ‘‘कल से हमारा चिकित्सा दल दोनों लोगों के संपर्क में है और वे दोनों ठीक हैं। टीकाकरण के बाद उन्हें दर्द, बुखार, इंजेक्शन का कोई दुष्प्रभाव या और कोई तकलीफ नहीं है।’
डॉ. ओस्वाल ने बताया कि बुधवार को टीका लगाने के बाद दोनों पर आधे घंटे तक नजर रखी गई, उसके बाद ही उन्हें घर जाने दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘उन्हें सभी आवश्यक नंबर दिए गए थे जिन पर आपात स्थिति में संपर्क साधा जा सकता है। हमारी मेडिकल टीम भी उनके साथ लगातार संपर्क में है।’’
अस्पताल के चिकित्सा निदेशक डॉ. संजय ललवानी ने बुधवार को कहा था कि दोनों व्यक्तियों को एक महीने के बाद टीके की एक और खुराक दी जाएगी और अगले सात दिन में 25 लोगों को यह टीका लगाया जाएगा।
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव के मुताबिक, कोविड-19 के दो स्वदेशी टीकों के मानवीय क्लीनिकल परीक्षण का पहला चरण पूरा हो गया है और परीक्षण दूसरे चरण में पहुंच चुका है। इनमें से एक टीके को भारत बायोटेक ने आईसीएमआर के साथ मिलकर विकसित किया है और दूसरा टीका जायडस कैडिला लिमिटेड ने तैयार किया है।
बता दें भारतीय दवा कंपनी जायडस कैडिला कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटी है। कंपनी की प्लाज्मिड डीएनए वैक्सीन ‘जायकोवी-डी’ का क्लीनिकल ट्रायल दूसरी स्टेज में है। इस वैक्सीन का पहले चरण का क्लीनिकल ट्रायल सफल रहा था। यह हानिरहित और सहनीय रहा था। कंपनी के मुताबिक, पहले चरण के क्लिनिकल ट्रायल के तहत जिन लोगों को वैक्सीन की खुराक दी गई, उन पर कोई नकारात्मक असर नहीं पाया गया।
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