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30 दिन में 46 फीसदी मौतें सिर्फ कोरोना से, 762 में से 350 को कोई भी बीमारी नहीं थी

पीलूराम साहू | अब तक यह धारणा थी कि कोरोना से अधिकतर उन लोगों की मृत्यु हो रही है, जिन्हें शुगर-बीपी, हाइपरटेंशन या दमे जैसी गंभीर शिकायतें थीं, लेकिन पिछले एक हफ्ते में सिर्फ कोरोना इन जानलेवा बीमारियों पर भारी पड़ रहा है। भास्कर की पड़ताल में पता चला कि राजधानी-प्रदेश में 8 सितंबर से 7 अक्टूबर तक 762 कोरोना संक्रमितों की मृत्यु हुई है। इनमें से 350 बिल्कुल स्वस्थ थे, यानी कोरोना के अलावा उन्हें कोई दूसरी बीमारी नहीं थी। जबकि बाकी 412 को गंभीर बीमारियां थीं और कोरोना हो गया था।
डाक्टरों के मुताबिक केवल कोरोना से मौत के मामले एक माह में ही 39 प्रतिशत से बढ़कर 46 प्रतिशत हो गए हैं। सिर्फ कोरोना से जिनकी मृत्यु हुई, उनमें ज्यादातर युवा पर कुछ बुजुर्ग भी हैं। डाक्टरों का दावा है कि जांच में देरी की वजह से कोरोना का मरीज गंभीर हो रहा है और अस्पताल आने के बाद भी उसका बचना मुश्किल होने लगा है। कई मरीज तो ऐसे भी आ रहे हैं, जो अस्पताल पहुंचने के बाद कुछ घंटे में ही दम तोड़ने लगे हैं।

1 से 8 अक्टूबर तक मौतें

तारीख मौतें कोरोना अन्य
8 अक्टूबर 24 10 14
7 अक्टूबर 30 14 16
6 अक्टूबर 23 15 08
5 अक्टूबर 36 11 25
4 अक्टूबर 14 06 08
3 अक्टूबर 29 14 15
2 अक्टूबर 16 06 10
1 अक्टूबर 29 12 17

तीन दिन पहले रायगढ़ के 40 वर्षीय युवक को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद स्थानीय अस्पताल में भर्ती किया गया। वह जांच में पाजिटिव आया, लेकिन कुछ घंटे में उसकी मृत्यु हो गई। जांजगीर-चांपा के 45 वर्षीय युवक को भी सांस लेने में तकलीफ थी। उसने भी इलाज के कुछ घंटे के भीतर दम तोड़ा। राजधानी में कुशालपुर के 50 वर्षीय व्यक्ति को 25 सितंबर को सिर्फ कोरोना के कारण सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद भर्ती किया गया। उसने 10 दिन बाद दम तोड़ा। इसी तरह फाफाडीह रायपुर की 51 वर्षीय महिला को सिर्फ बुखार की शिकायत पर एक बड़े निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। 23 सितंबर से 5 अक्टूबर तक इलाज चला, लेकिन वह बची नहीं। गुरुर बालोद के 75 वर्षीय महिला को 6 अक्टूबर को मेडिकल कॉलेज लाया गया। उसे कोई बड़ी बीमारी नहीं थी। डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया, लेकिन जांच रिपोर्ट पाजिटिव आई। इसी तरह, 7 अक्टूबर को 30 मरीजों की मौत हुई, जिसमें 14 की मौत केवल कोरोना से हुई। 6 अक्टूबर को मृत 23 लोगों में से 15 की जान केवल कोरोना ने ली। 3 अक्टूबर को 29 में 14 और 1 अक्टूबर को 29 में 12 मरीजों की मौत केवल कोरोना से हुई है। डाक्टरों के मुताबिक यह सभी ऐसे लोग हैं, जो कुछ दिन पहले तक स्वस्थ थे, कोई बीमारी नहीं थी लेकिन कोरोना ने इनकी मृत्यु की वजह बन गया।

कोरोना सातवें दिन ही जानलेवा : डॉक्टरों के अनुसार जांच से लेकर इलाज में लापरवाही बरतने पर कोरोना सातवें दिन में ही जानलेवा हो सकता है। पहले व दूसरे दिन कोई-कोई लक्षण नहीं दिखता। तीसरे दिन गले में खराश होती है, खांसी शुरू होती है और एकाध दिन में बुखार आता है। पांचवें दिन सांस फूलने लगती है। जिन लोगों की सिर्फ कोरोना से मृत्यु हुई, उन्हें सात से आठ दिन के भीतर वेंटिलेटर की जरूरत पड़ गई थी। अब तक 50 से ज्यादा ऐसे मरीज सामने आ चुके हैं, जिन्होंने छह-सात दिन घर में ही इलाज करवाया और कोरोना टेस्ट नहीं करवा सके। उनकी या तो अस्पताल पहुंचने से पहले मृत्यु हुई, या फिर अस्पताल लाने पर उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।

40-45 की उम्र वाले ज्यादा
6 अक्टूबर को 23 मरीजों की मौत हुई, जिसमें 15 को सिर्फ कोरोना था। 3 अक्टूबर को 29 में 14 और 1 अक्टूबर को 29 में 12 मरीजों की मौत केवल कोरोना से हुई है। कोरोना जांच में देरी से इलाज नहीं हो पाता और मरीज गंभीर होने लगता है। अर्थात, कोरोना के मामले में बरती गई लापरवाही जानलेवा हो सकती है। सिर्फ कोरोना से ज्यादा मौतें उन्हीं की हो रही हैं, जिनकी उम्र 40 से 45 साल के बीच है। उन्हें कोई बीमारी नहीं थी, सिर्फ सांस में तकलीफ की वजह से अस्पताल में भर्ती किया गया था।

आईसीसीयू तक नहीं मिला
बेड खाली होने के दावे के बीच अभी भी बड़े संस्थानों के आइसोलेशन वार्ड में कोरोना मरीजों की मौत हो रही है। जबकि ऐसे गंभीर मरीजों को आईसीयू की जरूरत होती है। बुधवार को एक बड़े संस्थान में तीन कोरोना मरीजों की मौत आइसोलेशन वार्ड में हुई है। तीनों को सांस लेने की तकलीफ थी, लेकिन डायबिटीज और हाईपरटेंशन एक ही को था। इन तीनों ने ही आइसोलेशन वार्ड में दम तोड़ा, जबकि कोरोना में यह स्थिति आने पर आईसीसीयू में ही इलाज का विकल्प है।

जांच करवाएं
"कोरोना की जांच समय पर हो तो इलाज समय पर होगा और मरीज गंभीर नहीं हो पाएगा। सही समय पर जांच व इलाज से आधी से ज्यादा मौतें रुक सकती हैं। सिर्फ कोरोना से मौत के मामले बढ़ रहे हैं, इसलिए अब इसे गंभीरता से लेना चाहिए और लक्षण दिखते ही जांच करवाना चाहिए।"
-डॉ आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी

सर्वे कर रहे
"सर्वे टीमें घर-घर जा रही हैं लेकिन लोग अपने घरों में बीमारों को भी छिपा रहे हैं। ऐसे में कोरोना घातक होता चला जाएगा। सर्वे टीम को बताएंगे तो शासन ही जांच और अस्पताल भेजने की व्यवस्था कर देगा।"
-डॉ. सुभाष पांडेय, मीडिया प्रभारी कोरोना सेल




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